प्राचीनकाल में देवताओं और असुरो के बीच हुए समुद्र मंथन के बारे में सभी जानते है | जब क्षीर सागर में समुद्र मंथन किया गया था, तब समुद्र में से कई रत्न और देवी देवता प्रकट हुए थे | माँ लक्ष्मी भी समुद्र मंथन से ही निकली थी, लेकिन क्या आप जानते है, माँ लक्ष्मी के प्रकट होने से पहले समुद्र में से अलक्ष्मी प्रकट हुयी थी | अलक्ष्मी अपने हाथो में मदिरा लिए प्रकट हुयी थी | माँ लक्ष्मी से पहले प्रकट होने के कारण उन्हें देवी लक्ष्मी की बड़ी बहन माना जाता है | आज हम आपको देवी अलक्ष्मी से जुडी जानकारी देने जा रहे है |
देवी अलक्ष्मी से कई कथाये जुडी हुयी है, आज हम आपको उन्ही कथाओ में से कुछ कथाओ का सार बताने जा रहे है |
पहली कथा
प्राचीन समय से चली आ रही कुछ कथाओ के अनुसार देवी अलक्ष्मी ने प्रकट होने के बाद भगवान विष्णु से विवाह करने की इच्छा जताई थी, लेकिन भगवान विष्णु ने देवी लक्ष्मी से विवाह कर लिया था | इसके बाद अलक्ष्मी क्रोधित हो गयी तब भगवान विष्णु ने देवी अलक्ष्मी को पीपल के वृक्ष में विराजमान होने का आशीर्वाद दिया साथ ही कहा कि वे प्रत्येक शनिवार उनसे भेंट करने आएंगे, ऐसा माना जाता है कि इसीलिए शनिवार के दिन पीपल की पूजा करना शुभ फल प्रदान करता है |
दूसरी कथा
पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार समुद्र मंथन से कालकूट के निकलने के बाद एक देवी प्रकट हुयी जो वृद्ध थी, पीले केश थे, लाल आँखे और मुख काला था | इसके बाद देवताओ ने उन्हें वरदान दिया कि तुम जहाँ कलह हो वहां निवास करो | भूसी, कोयला, हड्डी में वास करो | पापी और झूठे लोगो, बिना हाथ मुँह धोये भोजन करने वालो को तुम और दरिद्र बना दो |
पद्मपुराण के अनुसार अलक्ष्मी का विवाह भगवान विष्णु ने उद्दालक ऋषि से कराया था | वहीँ लिंगपुराण के अनुसार दुःसह नामक ब्राह्मण से कराया गया था, लेकिन वे जल्द ही पाताल में चले गए | जिससे देवी अलक्ष्मी अकेली रह गयी और इसके बाद वह पीपल के वृक्ष में निवास के लिए चली गयी, सनत्सुजात संहिता के अनुसार प्रत्येक शनिवार को माँ लक्ष्मी देवी अलक्ष्मी से मिलने पीपल के पेड़ में आती है | यही वजह है कि शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष को पूजना सम्पन्नता लाता है, जबकि अन्य दिनों में पीपल को स्पर्श करना दारिद्रय लाता है |